अरंडी तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग १२ मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ १५-४५ सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की, ५-१२ सेमी गहरी पालि और दांतेदार हाशिए की तरह होती हैं रण्डी की खेती अधिकतर खरीफ की फसल के रुप में की जाती है, इसे सामान्य रूप से जून – जुलाई के महीने में बोते हैं। फसल को बोने के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 90 से. मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 से.

अरंडी तेल एजिंग एजेंट भी है. उसमें कॉटन भिगोकर लगाने से स्किन की कई समस्याएं दूर हो सकती हैं. सोने से पहले पलकों और आंख के आसपास इस्तेमाल करने से आंख की एलर्जी से हिफाजत करता है. अरंडी तेल के अन्य फायदे चम्मच अरंडी का तेल खाली पेट इस्तेमाल करने से छोटी-बड़ी आंत को सक्रिय कर कब्ज से निजात दिलाता है
बड़ी मात्रा में अरंडी का तेल जहरीला हो सकता है । ओवरडोज के लक्षणों में पेट में ऐंठन, सीने में दर्द और सांस की तकलीफ शामिल हैं। अनजाने में ओवरडोज से बचने के लिए निर्देशानुसार अरंडी के तेल का प्रयोग करें।
अरंडी तेल के फायदे और नुकसान व उपयोग | Castor Oil in Hindi
- १. खाँसी में लाभ –
- २. काले धब्बे साफ़ करे –
- ३. गठिया रोग में –
- ४. कब्ज में फायदा –
- ५. बालों के लिए –
- ६. पेट की चर्बी कम करे –
- ७. पाइल्स से छुटकारा –
- ८. किडनी की सूजन कम करने में सहायक –
अगर आप कब्ज से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो अरंडी के तेल का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए रोजाना रात में सोने से पहले एक गिलास गुनगुने गर्म दूध में दो चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर सेवन करें। इससे कब्ज की समस्या बहुत जल्द खत्म हो जाती है। साथ ही पाचन तंत्र भी मजबूत होता है।
क्या गर्भावस्था के दौरान अरंडी का तेल सुरक्षित है?
किसी भी अध्ययन में अरंडी के तेल का उपयोग करने से भ्रूण के लिए कोई सीधा जोखिम या खतरे नहीं पाए गए हैं, लेकिन मां में यह दस्त, झूठे संकुचन, निर्जलीकरण और पेट से संबंधित अन्य दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है। जो लोग श्रम प्रेरित करना चाहते हैं उन्हें अपनी चिंताओं के बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए।